अमितोलिया बैंक फ्रॉड: भारत का फैला हुआ एक बड़ा मामला

परिचय

  1. यह केस स्टडी भारत में हुआ एक सच‑मुच का बैंक फ्रॉड है, जिसमें करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ।

  2. यह उदाहरण प्रदर्शित करता है कि कैसे सिस्टम की चुप्पी और लॉजिस्टिक लूपहोल्स का फायदा उठाया जाता है।

  3. उद्देश्य है केस को समझदारी और सावधानी से पेश करना ताकि इसे पढ़कर हर व्यक्ति सुरक्षित बन सके।

कहानी की रूपरेखा

  1. मौका: पीएनबी का ब्रैडी हाउस शाखा (मुंबई)

  2. मुख्य आरोपी: हीरा व्यापारी निरव मोदी और मेहुल चोक्सी

  3. उन्होंने बैंक से "Letter of Undertaking" (LoU) निकालने में मिलीभगत की।

  4. LoU की मदद से विदेश में स्विफ्ट सिस्टम के जरिए लोन लिया गया।

  5. बैंक ने कथित गलत तरीके से जांच नहीं की और आपराधिक लेनदेन छुपा।

  6. इस तरीके से करीब ₹13,000 करोड़ तक का फ्रॉड हुआ

ब्लूप्रिंट: फ्रॉड की रणनीति

  1. बैंक अधिकारी सहमति देते थे बिना पुष्टि किए।

  2. LoU की वैधता जांचना बाकी था पर होता नहीं था।

  3. स्विफ्ट मैसेज सिस्टम का दुरुपयोग हुआ।

  4. निरव मोदी व अन्य कंपनियों ने गलत धड़ा तैयार किये।

  5. कथित तौर पर ये कंपनियां विदेश से वापस लोन नहीं लौटा रहीं।

भेद्यता और कारण

  1. बैंक के अंदरूकिया चेक इतना कमजोर था कि कोई रोक‑टोक नहीं हुई।

  2. बैंक अधिकारी, भ्रष्ट लोन एप्रूवल की प्रक्रिया से जुड़े थे।

  3. टेक्निकल सिस्टम (SWIFT) का मुँहबोला दुरुपयोग हुआ।

  4. धोखाधड़ी की भारी रकम और जटिल डिजाइन ने निष्पादन में मदद की।

खुलासा

  1. जनवरी 2018 में PNB ने धोखाधड़ी की रिपोर्ट CBI को भेजी

    1. जांच शुरू हुई और फ्रॉड पर पर्दा उठा।

     

    1. निरव मोदी और चोक्सी का विदेश में पता चला।

     

    1. नारको–पानी पेंडिंग, कोर्ट और ED के केस उठे।

     

    1. बेल्जियम से मुख्य आरोपी चोक्सी को पकड़ा गया।

परिणाम

  1. बैंक को भारी वित्तीय घात सहना पड़ा।

  2. सरकारी बैंक व्यवस्था लीक और भेद्यता के सामने आई।

  3. तकनीकी और मानविक त्रुटियों को उजागर किया गया।

  4. फ्रॉड संचालकों को वैश्विक स्तर पर ट्रैक किया गया।

सीख

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