1) सबसे पहले — बड़े-बड़े काम (नीति/योजनाएँ) — कौन-कब, क्या किया

कांग्रेस-समर्थित या UPA-काल (मुख्यतः 2004–2014) — प्रमुख पहलें

  1. MGNREGA (National Rural Employment Guarantee Act, 2005) — ग्रामीण क्षेत्र में रोज़गार की कानूनी गारंटी (100 दिन/वर्ष तक) और इससे जुड़े जल-संसाधन व जमीन सुधार कार्यक्रम। यह गरीब ग्रामीणों को आय और स्थानीय इंफ्रास्ट्रक्चर देता है। (कानून 2005)। 

  2. Right to Information Act (RTI), 2005 — सरकारी पारदर्शिता बढ़ाने वाला क़ानून; नागरिकों को सरकारी जानकारी माँगने का अधिकार मिला।

  3. National Rural Health Mission (NRHM, 2005) — ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का सुदृढ़ीकरण।

  4. National Food Security Act (NFSA, 2013) — खाद्य अनुदान/कनिष्ठ सुरक्षा के अधिकार; लगभग बड़े हिस्से को सस्ती अनाज की गारंटी। (2013 में अधिनियमित)।

  5. मिड-डे मील / ICDS का विस्तार, शिक्षा-कल्याण नीतियाँ — सामाजिक सुरक्षा पर बल, बाल/महिला कल्याण के कार्यक्रमों का विस्तार। (UPA-दौर की सामाजिक नीतियाँ)। 

भाजपा / NDA-समर्थित (मुख्यतः 2014–2025) — प्रमुख पहलें

  1. Pradhan Mantri Jan Dhan Yojana (PMJDY, 2014) — वित्तीय समावेशन: मंच पर करोडों बैंक खाते खोले गए ताकि DBT, बीमा, RuPay आदि पहुंच सकें। (खाते करोड़ों में)। 

  2. Swachh Bharat Mission (2014–) — ग्रामीण और शहरी स्वच्छता अभियान: कोर्ट/ODF (Open Defecation Free) कवरेज में तेज़ वृद्धि; करोड़ों शौचालय बनवाए गए। 

  3. Pradhan Mantri Ujjwala Yojana (PMUY, 2016) — गरीब परिवारों को घरेलू LPG कनेक्शन देकर धरती-स्वास्थ्य और महिलाओं की सुरक्षा/स्वास्थ्य पर असर। (कॉनैक्शन्स करोड़ों में)। 

  4. GST (Goods & Services Tax, 1 July 2017) — देश का बड़ा कर-उपाय जो कई अप्रत्यक्ष करों को एकीकृत करता है; आर्थिक प्रशासनिक सुधार।

  5. डिजिटल अभियान, बैंकिंग/पेमेंट-इन्फ्रा और बड़े इन्फ्रा-प्रोजेक्ट (Make in India, Digital India, सड़कों/रेल/उर्जा में निवेश) — आर्थिक वृद्धि और डिजिटल सर्विसेज़ में जोर। 

  6. (नोटेबल इवेंट) 2016 का Demonetisation — ₹500/₹1000 नोटों को अचानक बंद करने का कदम (नफ़े-नुकसान पर बहस)। 


2) किसके-कहने पर असर (लाभ/लोगों तक पहुँच) — आँकड़े और कवरेज-बिंदु

(नीचे मैं उन योजनाओं/नतीजों की बात कर रहा हूँ जिनकी पहुँच/कवरेज व्यापक रही — इन पर जनता का समर्थन/लाभ दिखा।)

  1. MGNREGA — ग्रामीण रोज़गार और सामाजिक सुरक्षा का बड़ा आधार बना; लाखों-करोड़ों हाउसहोल्ड्स ने लाभ उठाया। यह गरीबी रोधी व प्राकृतिक संसाधन सुधार में काम आया। (सरकारी/अकादमिक रिपोर्ट दिखाती हैं कि लाखों परिवार इससे जुड़े रहे)। 

  2. NFSA (Food Security Act) — कानूनी अधिकार के रूप में सस्ती रोटी/चावल-वितरण; अधिसूचित कवरेज ग्रामों/शहरी इलाकों के लिए बड़ा है (रural ~75% coverage का लक्ष्य). 

  3. PMJDY (Jan Dhan) — 2014 के बाद खुलने वाले खातों और DBT के कारण वित्तीय समावेशन बढ़ा; करोड़ों खाते = बड़े पैमाने पर कवरेज। इस वजह से कई लाभ सीधे बैंक खाते में पहुंचे। (56+ करोड़ खातों तक आँकड़ा रिपोर्टेड)। 

  4. Ujjwala — LPG कनेक्शन करोड़ों परिवारों तक पहुंचे; महिला स्वास्थ्य और घर के इंधन-खतरे घटाने में मदद मानी जाती है। (सरकारी आँकड़े)।  

  5. Swachh Bharat — ग्रामीण शौचालय कवरेज 2014 से 2019 में तेज़ी से बढ़कर बड़े पैमाने पर पहुँच गया; परिणामस्वरूप खुले में शौच की प्रथा घटने की रिपोर्टें आईं। 

इन उदाहरणों में “50% से ज़्यादा जनता/पर्याप्त कवरेज” का अर्थ है कि या तो योजना-लक्षित कवरेज आधा-से-अधिक रहा (जैसे NFSA का rural coverage target 75%), या लाखों/करोड़ों लोगों तक पहुँच हुई (PMJDY, Ujjwala)। इसलिए जनता के बीच ये पहल व्यापक रूप से दिखाई देती हैं। 


3) आलोचना / नकारात्मक प्रभाव — दोनों पक्षों के विवादित फैसले

  1. UPA / Congress दौर — कुछ आलोचक कहते हैं कि योजनाएँ अच्छी थीं पर क्रियान्वयन/लक्षित पहुँच में गड़बड़ी, भ्रष्टाचार या फायदे सही लोगों तक न पहुँचना की समस्याएँ रहीं; कुछ सहयोगी परियोजनाओं का खर्च अधिक बताया गया। (योजनाओं के प्रभाव पर विस्तृत अध्ययन-निष्कर्ष अलग-अलग)। 

  2. BJP / NDA दौर — बड़े सुधार/मोर्चेबंदी (GST, Demonetisation) पर विवाद रहा: GST के शुरुआती दिनों में कारोबार और compliance-चुनौतियाँ दिखाई दीं; demonetisation पर अर्थशास्त्रियों में मतभेद रहे (शार्ट-टर्म disruption, लंबे-अवधि लाभ विवादित)। इसके साथ-साथ कुछ सामाजिक-राजनीतिक नीतियाँ भी तीखी बहस का विषय रहीं। 


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