भारत की राजनीति में दो सबसे बड़ी पार्टियाँ हैं – भारतीय जनता पार्टी (BJP) और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (Congress)। दोनों ने देश के लिए बहुत काम किया है, लेकिन उनके काम करने का तरीका, विज़न, एजेंडा और जनता तक पहुँचने का तरीका अलग-अलग रहा है।
यहाँ हम इनके अच्छे काम, फंडिंग, नेतृत्व और जनता को दिए गए योगदान की सरल और साफ़ तुलना करेंगे।
BJP का मुख्य विज़न “राष्ट्रवाद और विकास” पर आधारित है।
पार्टी का ज़्यादातर ध्यान आर्थिक सुधार, डिजिटल इंडिया, आत्मनिर्भर भारत, मेक इन इंडिया, और सुरक्षा पर रहा है।
गाँव-गाँव बिजली पहुँचाना, सस्ता गैस सिलेंडर, मुफ्त राशन, जनधन योजना जैसी योजनाएँ लाकर आम आदमी तक पहुँचने की कोशिश की गई।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत की पहचान मज़बूत करने का काम किया गया।
कांग्रेस पार्टी का मुख्य विज़न “समानता और सामाजिक न्याय” पर आधारित है।
आज़ादी के बाद से कांग्रेस ने ही देश को संविधान, पंचवर्षीय योजनाएँ, हरित क्रांति, सूचना तकनीक और शिक्षा के क्षेत्र में मज़बूत नींव दी।
गरीबों के लिए मनरेगा, शिक्षा अधिकार कानून, और ग्रामीण विकास योजनाएँ कांग्रेस के बड़े कदम रहे।
कांग्रेस ने लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता को मज़बूत करने का काम किया।
BJP की फंडिंग – ज्यादातर कॉरपोरेट सेक्टर, चुनाव बॉन्ड और समर्थकों से आती है।
Congress की फंडिंग – पार्टी कार्यकर्ता, दानदाताओं और चुनाव बॉन्ड से आती है।
दोनों पार्टियाँ चुनावी चंदे पर निर्भर हैं, लेकिन BJP के पास वर्तमान में ज्यादा आर्थिक संसाधन हैं।
BJP के नेता: नरेंद्र मोदी, अमित शाह जैसे नेता विज़न और मजबूत निर्णय क्षमता के लिए जाने जाते हैं।
Congress के नेता: जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी से लेकर सोनिया गांधी और राहुल गांधी तक – इनका विज़न सामाजिक बराबरी और लोकतंत्र पर टिका रहा।
BJP के फायदे: तेज़ फैसले, आधुनिक टेक्नोलॉजी, मज़बूत अंतरराष्ट्रीय पहचान, और योजनाएँ जो सीधे गरीबों तक पहुँचें।
Congress के फायदे: लंबे समय तक बुनियादी ढाँचे की नींव रखना, शिक्षा और ग्रामीण विकास, गरीबों को रोज़गार गारंटी देना।
BJP: राष्ट्रवाद, सुरक्षा, आत्मनिर्भर भारत।
Congress: लोकतंत्र, समानता, गरीब और मध्यम वर्ग की बेहतरी।
हर पार्टी का एजेंडा अलग है, लेकिन दोनों से जनता को यह सीख मिलती है कि किसी भी पार्टी को अंधभक्ति से नहीं, बल्कि उनके काम देखकर चुनना चाहिए।
फंडिंग सिस्टम को पारदर्शी बनाना होगा।
जनता तक सही जानकारी पहुँचना जरूरी है।
चुनाव में मुद्दे “विकास” के हों, न कि “धर्म या जाति” के।
आम नागरिक को समझ आएगा कि दोनों पार्टियों के काम और एजेंडा में क्या फर्क है।
लोग आसानी से तय कर पाएँगे कि किसे वोट देना चाहिए।
छात्र और रिसर्चर को यह जानकारी पढ़ाई और तैयारी में काम आएगी।